भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कुछ बैंकों और वित्तीय संस्थाओं पर नियमों के उल्लंघन के कारण जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई वित्तीय क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखने और ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए की गई है। इसलिए आज का आर्टिकल में उन सभी बैंक और फाइनेंशियल कंपनी के बारे में बताएंगे जिसके ऊपर आरबीआई के द्वारा जुर्माना लगाया गया है।
जुर्माना लगाए गए बैंक और वित्तीय संस्थाएं:
सीएसबी बैंक (CSB Bank): RBI ने सीएसबी बैंक पर ₹1.86 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना फाइनेंशियल सर्विस की आउटसोर्सिंग में रिस्क मैनेजमेंट और आचार संहिता से संबंधित गाइडलाइन और शाखा प्राधिकरण पर मास्टर सर्कुलेशन से संबंधित कुछ निर्देशों का पालन न करने के कारण लगाया गया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India): यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर ₹1.06 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना बैंक द्वारा ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) से संबंधित कुछ मानदंडों का पालन न करने और अन्य कारणों से लगाया गया है।
मुथूट हाउसिंग फाइनेंस (Muthoot Housing Finance): मुथूट हाउसिंग फाइनेंस पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना कंपनी द्वारा ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – आवास वित्त कंपनी (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2021’ के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के कारण लगाया गया है।
निडो होम फाइनेंस लिमिटेड (Nido Home Finance Limited): निडो होम फाइनेंस लिमिटेड पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया गया है।
अशोका विनियोग लिमिटेड (Ashoka Vinayog Limited): अशोका विनियोग लिमिटेड पर ₹3.1 लाख का जुर्माना लगाया गया है।
जुर्माना लगाने के कारण:
RBI ने इन संस्थाओं पर जुर्माना निम्नलिखित कारणों से लगाया है:
नियमों का उल्लंघन: इन संस्थाओं ने RBI द्वारा निर्धारित नियमों और दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया।
KYC मानदंडों का पालन न करना: कुछ बैंकों ने ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) से संबंधित मानदंडों का पालन नहीं किया।
आउटसोर्सिंग में लापरवाही: कुछ संस्थाओं ने फाइनेंशियल सर्विस की आउटसोर्सिंग में रिस्क मैनेजमेंट और आचार संहिता से संबंधित गाइडलाइन का पालन नहीं किया।
RBI की प्रतिक्रिया:
RBI ने स्पष्ट किया है कि इन जुर्मानों का उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। मुख्य उद्देश्य हैं:
- बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन सुनिश्चित करना।
- ग्राहकों के हितों की रक्षा करना।
- वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाना।
- नियामक ढांचे को मजबूत करना।