GST Rules: भारत सरकार द्वारा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं और 1 अप्रैल से इनपुट टैक्स डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम (ISD) लागू कर दिया जाएगा और इसी प्रणाली के अंतर्गत बिज़नेस को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा. इससे पहले उम्मीदवार को अपने व्यवसाय पर शुरू करने के लिए आईसीटी के रूप में रजिस्ट्रेशन (GST Rules) करवाना जरूरी नहीं था ये एक ऑप्शन था.
इसमें आईएसडी मैकेनिज्म या क्रॉस चार्ज मेथड भी शामिल थे, लेकिन 2024 के फाइनैंस ऐक्ट के अंतर्गत केंद्रीय जीएसटी जीएसटी एक्ट में बदलाव करते हुए आईएसडी मकैनिज्म को शुरू करने का फैसला लिया गया. ये नियम (GST Rules) उन उम्मीदवारों को अनिवार्य रूप से फॉलो करना होगा, जो केंद्रीय संस्थान से सामान्य इनपुट सर्विस चालान रिसीव करते हैं और अलग अलग स्थानों पर इनकम टैक्स क्रेडिट इनपुट टैक्स क्रेडिट करते हैं.
फायदा क्या होगा?
इस नए नियम लागू होने से राज्यों के बीच होने वाले टैक्स रेवेन्यू का वितरण सही से हो पाएगा. इसके अलावा इससे उम्मीदवारों को अपने बिज़नेस को अपनी टैक्स देनदारी को अच्छे से मैनेज करने में मदद होगी. इसके अलावा टैक्स (GST Rules) चोरी पर रोक लग सकेगी और प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी.
नियमों का उल्लंघन करने पर क्या होगा?
अगर कोई उम्मीदवार अपना बिज़नेस शुरू करता है और इसका इस्तेमाल नहीं करता है तो रेसिपिलिएंट लोकेशन के लिए आईटीसी नहीं दिया जाएगा. इस नियम से उन व्यवसायों (GST Rules) को लाभ होगा जो अलग अलग राज्यों में फैले हुए हैं. आईएसडी नियमों का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों को ₹10,000 का जुर्माना भरना होगा.
आईटीसी और आईएसडी क्या है?
इन्कम टैक्स क्रेडिट (ITC) वह होता है जो बिज़नेस अपने खरीद कर चुकाते हैं. जिसे बिज़नेस करने वाले उम्मीदवार आउटपुट टैक्स देयता से घटा सकते हैं. इसका उपयोग व्यापारी सेवाओं का भुगतान (GST Rules) करने के लिए जीएसटी के लिए करते हैं.
इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) एक जीएसटी पंजीकृत फॉर्म होता है. जिसमें (GST Rules) अलग-अलग कार्यों के द्वारा इस्तेमाल होने वाली सर्विस के लिए प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट को कार्यालय में वितरित करने का काम किया जाता है.